बच्चों ने अभिनय से गुमनाम शहीदों को याद कराया
- भारतेंदु नाटक अकादमी में मंचित हुआ नाटक, बच्चों को सम्मानित भी किया गया
लखनऊ। नाटक ‘शहीदों ने लौ जलाई‘ से गुमनाम शहीदों को बाल कलाकारों ने अभिनय से दर्शकों को याद दिलाया। नाटक का मंचन मंगलवार को आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत उ.प्र. संस्कृति विभाग और भारतेन्दु नाट्य अकादमी की ओर से आयोजित छह दिवसीय शौर्य गाथा बाल रंग महोत्सव में मंगलवार को किया गया। इसी के साथ आयोजित बाल रंगमहोत्सव का समापन हो गया। समापन के अंतिम दिन बाल कलाकारों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया गया।
संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम व अपर मुख्य सचिव सूचना, नवनीत सहगल ने बाल कार्यशाला एवं छह दिवसीय शौर्य गाथा बाल रंग महोत्सव अंतिम दिन बाल कलाकारों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन अकादमी के थ्रस्ट सभागार में हुआ। निदेशक दिनेश खन्ना और अध्यक्ष रवि शंकर खरे ने अकीर्तित नायकों पर हुए महोत्सव के लिए बच्चों, स्कूलों, निर्देशकों, लेखकों के साथ संस्कृति विभाग उप्र शासन का धन्यवाद किया है।
लेखक उर्मिल कुमार थपलियाल और देवाशीष मिश्र निर्देशित नाटक ’शहीदों ने लौ जगाई’ का मंचन हुआ। प्रकाश बाल विद्या मंदिर इंटर कॉलेज एवं अमाईकस एकेडमी लखनऊ के बच्चों ने इस कार्यशाला और मंचन में भाग लिया। यह नाटक उन गुमनाम क्रान्तिकारियों और देश प्रेमियों की कहानी है, जिन्हें अंग्रेज़ी हुकूमत ने ‘‘काला पानी’’ की सज़ा दी। नाटक क्रान्तिकारियों में मुख्यतः बटुकेश्वर दत्त, डॉ गया प्रसाद, मोहित मोहन मोइत्रा, मौलवी लियाक़त अली, गणेश घोष आदि अनाम देशभक्तों को समर्पित था। इस नाटक में उन गीतों का प्रयोग भी किया गया है, जिन्हें ब्रिटिश शासन ने प्रतिबंधित किया था क्योंकि ये ज़ब्तशुदा गीत लोगों में अंग्रेज़ी हुकूमत के खि़लाफ़ क्रोध की ज्वाला भड़काते थे।
नाटक देख दर्शक बहुत उत्साहित हुए। संचालन विजित सिंह ने किया। परिसर की डिजाइनिंग दीपक सोनी और इनकी टीम ने किया। इससे पहले कप्तान सिंह निर्देशित कठपुतली शो पेड़ों का विद्रोह का मंचन हुआ। इस शो में प्रकृति के साथ दुर्व्यवहार न करने का संदेश दिया गया। इससे पूर्व चन्द्रेश पांडेय, डॉ प्रतिभा मिश्रा ने लोकगीत से लोगों का मन बहलाया। मुख्य अतिथि नवनीत सहगल ने अकीर्तित नायकों पर नाटक के लिए बच्चों के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि बहुत सारे नायक ऐसे हैं, जिनको लोग नहीं जानते लेकिन प्रधानमंत्री जी के प्रयासों से अमृत महोत्सव शुरू हुआ, जिससे गुमनाम बलिदानियों को जानने का मौका मिला। बच्चों को निश्चित तौर पर इसका लाभ हुआ होगा। उन्होंने अकादमी के प्रयासों की सराहना की। बच्चों से कहा- सुनिए, समझिए सब की लेकिन जो आप के लक्ष्य के लिए जीवन के लिए उचित हो उसे ग्रहण करें। इस मौके पर अकादमी के अध्यक्ष रवि शंकर खरे, यूनिसेफ उप्र ऑफिस कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट गीताली त्रिवेदी भी मौजूद थीं।