खरीफ फसल की बेहतर पैदावार के लिए किसान समय से करें बीज व भूमिशोधन : कृषि रक्षा अधिकारी
- धान की नर्सरी से पहले अपनाएं जैविक व रासायनिक उपाय, रोग-कीटों से मिलेगी सुरक्षा
गौरव कुशवाहा
देवरिया। खरीफ फसलों की बुवाई का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, कृषि विभाग ने किसानों को सतर्क करते हुए समय से बीजशोधन व भूमिशोधन की सलाह दी है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी इरम ने कहा कि यदि किसान खेत की तैयारी और बीज उपचार वैज्ञानिक तरीके से करें, तो भूमि एवं बीज जनित रोगों से फसल को बचाया जा सकता है, जिससे उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है।
उन्होंने बताया कि खरीफ सीजन में खासकर धान की नर्सरी डालने और रोपाई से पहले ट्राइकोडर्मा व ब्यूवेरिया बेसियाना जैसे जैविक उत्पादों का प्रयोग अत्यंत लाभकारी है। ट्राइकोडर्मा जहां जड़ सड़न, तना सड़न, उकठा और झुलसा जैसे रोगों से सुरक्षा देता है, वहीं ब्यूवेरिया बेसियाना दीमक, फलीबेधक, पत्ती लपेटक जैसे कीटों पर कारगर होता है। दोनों जैव उत्पाद गोबर की खाद में मिलाकर खेत में अंतिम जुताई के समय मिलाना चाहिए।
बीज उपचार के संदर्भ में इरम ने बताया कि किसानों को प्रति किलोग्राम बीज पर 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा से सूखा उपचार अवश्य करना चाहिए। यदि क्षेत्र में बैक्टीरियल ब्लाइट का खतरा है तो 25 किग्रा बीज को 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन या 40 ग्राम प्लांटोमाइसिन के साथ रातभर भिगोकर छाया में सुखाकर ही नर्सरी लगानी चाहिए। अन्य सामान्य स्थिति में बीज को थीरम या कार्बेन्डाजिम के घोल में उपचारित करना चाहिए।
नर्सरी तैयार करने के बाद 10 दिन के भीतर ट्राइकोडर्मा का एक छिड़काव फसल को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है। वहीं यदि कीट प्रकोप नजर आए तो क्यूनालफास, क्लोरपायरीफास या इमिडाक्लोप्रिड जैसे रसायनों का नियंत्रित मात्रा में छिड़काव किया जाए।
इरम ने बताया कि ये सभी जैविक व रासायनिक उत्पाद कृषि रक्षा इकाइयों पर अनुदानित दरों पर उपलब्ध हैं, जहां से किसान इन्हें प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जागरूक किसान ही समय रहते वैज्ञानिक सलाहों को अपनाकर अपनी मेहनत का सही फल प्राप्त कर सकते हैं। विभाग की ओर से किसानों को लगातार मार्गदर्शन और सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है।



