उत्तर प्रदेशलखनऊ

न्यायिक कर्मचारी संघ ने अपनी समस्याओं को लेकर की मुख्यमंत्री से सीधे हस्तक्षेप की मांग

लखनऊlन्यायालय कर्मचारी संघ ने आज अपनी समस्याओं और शासन के न्याय अनुभाग के द्वारा बरती जा रही उदासीनता से कर्मचारियों के वर्षों से हो रहे शोषण को तत्काल रोके जाने हेतु सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीधा हस्तक्षेप कर शासन के न्याय अनुभाग की कार्यशैली की समीक्षा और कर्मचारियों के लंबे समय से अटके हुए काम शासन द्वारा त्वरित निस्तारित कराए जाने की मांग की।
यह मांग रखते हुए दीवानी न्यायालय कर्मचारी संघ के प्रदेश महासचिव नरेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में न्याय एवं विधाई मंत्रालय भी मुख्यमंत्री के पास ही है और मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी पटल पर कोई भी पत्रावली तीन दिवस से अधिक न रुके, फिर भी दुर्भाग्य का विषय है कि जनपद न्यायालय सेवा नितमावली का संशोधन की पत्रावली शासन के न्याय अनुभाग और वित्त अनुभाग के मध्य वर्षों से लटकी पड़ी है जिस कारण प्रदेश की जिला न्यायालय में बाबुओं के लगभग 4500 प्रोन्नति के पद रिक्त चल रहे है और जिन पर प्रोन्नति न होने से एक तो कर्मचारियों के वेतन का नुकसान हो ही रहा है बल्कि साथ ही साथ भर्ती स्तर के पद भी खाली नही हो पा रहे जिससे काम का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। विशेष उल्लेखनीय है कि इस समय उत्तर प्रदेश के जनपद न्यायालयों में लगभग एक करोड़ दस लाख से अधिक पत्रावलियां लंबित है और ऐसे में लगभग 4500 प्रोन्नति के पदों का रिक्त रहना न्याय व्यवस्था के लिए बड़ा संकट है। श्री सिंह ने कहा कि शासन ने अपने अन्य विभागों को प्रोन्नति में परिवीक्षा समाप्त करने का आदेश वर्ष 2016 में कर दिया लेकिन जनपद न्यायालय की नियमावली संशोधन तब से अब तक नही हो सकी है। 4600 ग्रेड वेतन के कर्मचारियों को राजपत्रित प्रतिष्ठा प्रदान किए जाने की पत्रावली भी न्याय अनुभाग में दबी पड़ी है, क्या इसका मूल कारण है कि न्यायालय कर्मचारी कभी हड़ताल अथवा व्यवस्था से असहयोग नही करता ? उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री सीधा हस्तक्षेप करते हुए न्याय अनुभाग की कार्यशैली की समीक्षा करते हुए कर्मचारी हितों की अटकी सारी पत्रावलियां निस्तारित कराने का आदेश दे अन्यथा यदि न्यायालय कर्मचारी व्यवस्था से असहयोग करते है और हड़ताल आदि कोई भी निर्णय लेते है तो इसके जिम्मेदार शासन में बैठे लोग होंगे, क्योंकि हम जायज मांगों के लिए वर्षो से इंतजार कर रहे है और इसी इंतजार में बहुत से न्यायिक कर्मचारी सेवानिवृत भी हो गए, अब शासन में बैठे लोगो के काम न करने का दंड हम न्यायालय कर्मचारी नही भुगतेंगे। संघ अपनी समस्याओं के निस्तारण पर आंदोलन और अन्य कार्ययोजनाओं हेतु दिनांक 26 मार्च को प्रदेश स्तरीय बैठक आयोजित कर रहा है।

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