विधानसभा की तरह परिषद में भी मुख्य मुकाबला BJP और SP के बीच, चुनाव के बाद बदलेगा उच्च सदन का गणित
उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुनाव जारी है और राज्य में पहले चरण के लिए वोटिंग 10 फरवरी को डाले जाएंगे. वहीं राज्य में विधानसभा परिषद यानी उच्च सदन के लिए भी चुनाव होने हैं. जिसमें मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच है. माना जा रहा है कि राज्य में चुनाव के बाद विधानसभा परिषद का गणित बदलेगा और बीजेपी इसमें मजबूत होगी. फिलहाल उच्च सदन में समाजवादी मजबूत है और उसके 48 सदस्य हैं जबकि बीजेपी के सदस्यों की संख्या 36 है.
असल में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र के 36 सदस्यों के लिए चुनाव होने हैं. ये 36 पद 7 मार्च को खाली होने जा रहे हैं. इसके जरिए सभी दल राज्य विधानमंडल के इस उच्च सदन में अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश की तैयारी में है. लेकिन माना जा रहा है कि विधानसभा की तरह उच्च सदन में भी मुख्य मुकाबला बीजेपी और एसपी के बीच है और दोनों ही दल सदन में अपनी ताकत को बढ़ाना चाहते हैं. असल में अभी तक बीजेपी को विधानसभा परिषद में बिल पारित करने में दिक्कत होती आयी है. क्योंकि उच्च सदन में एसपी के पास संख्या बल ज्यादा है.
उच्च सदन में मजबूत होती गई बीजेपी
अगर आंकड़ों को देखें तो दिसंबर 2020 में विधान परिषद के शिक्षक और स्नातक मंडल की 11 सीटों पर चुनाव से पहले एसपी के सदन में 52 और बीजेपी के केवल 19 सदस्य थे. लेकिन इस चुनाव में बीजेपी अपनी संख्या बढ़ाकर मजबूत हुई और फिर जनवरी 2021 में हुए 12 रिक्त पदों के चुनाव में बीजेपी को दस सीटें मिली और एसपी को सिर्फ दो सीटें मिली. इसके बाद लगातार बीजेपी सदन में मजबूत होती गई और वर्तमान में उसके सदस्यों की संख्या 36 है जबकि 48 सदस्यों के साथ सबसे ताकतवर है.
तीन और सात मार्च को होना चुनाव
उच्च सदन में खाली पदों के लिए 3 और 7 मार्च को चुनाव भी हो रहे हैं. वहीं दोनों तारीखों को विधानसभा के छठे और सातवें चरण में भी मतदान होना है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ब्रह्मदेव राम तिवारी ने बताया कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश की चुनाव मशीनरी पर विश्वास जताया है और हम लोग अपनी जिम्मेदारी को पूरी गंभीरता के साथ निभाते हुए विधानसभा और विधान परिषद के चुनाव कराएंगे.