निकाय चुनाव में मायावती ने प्रचार-प्रसार से बनायी दूरी
- प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल के लिए चुनौती बना मौजूदा चुनाव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले नगर निकाय चुनाव के लिए लगभग सभी राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। इसी के साथ प्रचार-प्रसार भी तेज हो गया है। राजनीतिक गलियारों से आ रही खबर पर यकीन करें तो बसपा प्रमुख मायावती ने इस चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारे जरूर हैं लेकिन उनके प्रचार के लिए वे खुद प्रचार के मैदान में उतरने नहीं जा रही हैं। इससे जहां बसपा के उम्मीदवारों की पेशानियों पर बल पड़े हुए हैं, वहीं अन्य प्रतिद्वंद्वी दलों की बांछें खिली हुई हैं।
कुछ राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि दूसरी बार निकाय चुनाव में बसपा मैदान में उतर रही है। पार्टी जिस रणनीति के साथ चुनाव में उतरी है, उसका उन्हें फायदा जरूर मिलेगा, लेकिन यह भी जानकारी मिल रही है कि इस चुनाव में मायावती प्रचार नहीं करेंगी। इससे उनकी पार्टी को नुकसान जरूर हो सकता है और दूसरे दल को फायदा। भाजपा अपने कार्यकाल में किए गए कामों को लेकर हर तबके तक पहुंच रही है, जिसका फायदा पार्टी को मिलेगा। वहीं, सपा भी इसका फायदा उठा सकती है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल के लिए यह निकाय चुनाव चुनौतियों से भरा है,क्योंकि इस बार पूरी जिम्मेदारी उनके और उनके कोऑर्डिनेटरों के कंधे पर होगी। बसपा इस चुनाव को आगामी लोकसभा-2024 की तैयारी मान रही है। इसके नतीजों के आधार पर पार्टी आगे की रणनीति बनाएगी।