लखनऊ विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद द्वारा आहूत आम सभा कुलसचिव कार्यालय पर संपन्न हुई
लखनऊ विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद द्वारा आहूत आम सभा कुलसचिव कार्यालय पर संपन्न हुई। जिसका संचालन महामंत्री संजय शुक्ला एवं अध्यक्षता राकेश यादव ने किया। जिसमे पूर्व तथा वर्तमान पदाधिकारियों के साथ ही बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए। आम सभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि कर्मचारी समस्याओं से सम्बन्धित 21 सुत्रीय मांग पत्र विश्वविद्यालय प्रशासन को प्रेषित किया जाये, साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन को मांगो की पूर्ति के लिए 14 कार्यदिवसों का समय प्रदान करने एवं इस अवधि में प्रशासन द्वारा माँगों की पूर्ति सुनिश्चित नही की जाती है तो लखनऊ विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद् बिना किसी पूर्व सूचना के कभी भी आन्दोलन करने के लिए बाध्य होगा। जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व विश्वविद्यालय प्रशासन का होगा।
आम सभा से अनुमोदित मांगपत्र में शामिल मांगों में विश्वविद्यालय में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ववाहन चालकों, सुरक्षा प्रहरियों को विगत कई वर्षों की देय वर्दी, जूता झाडन, रेनकोट आदि का नकद भुगतान कराया जाए एवं आवश्यक सेवा में कार्य करने वाले कर्मचारियों को शेफ्टी-शूज एवं जीवन रक्षक उपकरण उपलब्ध कराया जाने, मृतक आश्रितों को तत्काल प्रभाव से नियुक्ति प्रदान की जाए तथा मा0 कार्य परिषद दिनांक 11.07.2016 के निर्णायानुसार अनानुमोदित मृतकों के आश्रितों को पूर्व की भाँति नियुक्ति प्रदान करने, विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों/कार्यालयों/संकायों एवं छात्रावासों में रिक्त नियमित पद पर समायोजन, विनियमितिकरण, प्रोन्नति अविलम्ब प्रारम्भ किये जाने, कार्य-परिषद के निर्णयानुसार तीन वर्षों से निरंतर नियत व दैनिक वेतन पर कार्यरत कर्मचारियों को वेतनमान की सुविधा प्रदान किये जाने, राज्य सरकार के कर्मचारियों की भाँति लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा तत्काल लागू किये जाने, लखनऊ विश्वविद्यालय की समस्त समितियों यथा- कार्य परिषद, वित्त समिति, प्रवेश समिति, निर्माण समिति एवं चयन समिति तथा समय समय पर गठित की जाने वाली अन्य समितियों में कर्मचारी परिषद को प्रतिनिधित्व प्रदान किये जाने।
विश्वविद्यालय में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की प्रोन्नति तृतीय श्रेणी के पद पर शैक्षणिक अर्हता एवं वरिष्ठता के अनुसार शासनादेशों की निहित मंशा के अनुरूप प्रोन्नति प्रदान किये जाने, एक विभाग से दूसरे विभाग में स्थानान्तरित किये गये कर्मचारियों को उनके मूल विभाग वापस किये जाने, विश्वविद्यालय में कार्यरत वर्तमान एवं पूर्व कर्मचारियों के आश्रितों को विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में निशुल्क अध्ययन की सुविधा प्रदान किये जाने, उ0 प्र0 शासन, विश्वविद्यालय प्रशासन एवं कर्मचारी परिषद के मध्य हुए पूर्व समझौतों का अनुपालन त्वरित प्रभाव से क्रियान्नवित किये जाने, आवश्यक सेवा, सीवर लाईन, विद्युत लाइन एवं परीक्षा कार्य से बाहर जाने वाले कर्मचारियों का रूपये 10 लाख का दुर्घटना बीमा कराया जाने व सेवा के दौरान मृत होने वाले कर्मचारियों के आश्रितों को आर्थिक सहायत प्रदान किये जाने की व्यवस्था किये जाने, विनियमित/मृतक आश्रित कर्मचारियों का स्थायीकरण एवं प्रोन्नति प्रदान किये जाने, विनियमित कर्मचारियों की सेवा की गणना वेतनमान की तिथि से किये जाने, जैसे- अनानुमोदित शिक्षकों को वरिष्ठता एवं जी0पी0एफ0 कटौती की सुविधा प्रदान की गई है।
निलम्बित किये गये शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का निलम्बन अविलम्ब समाप्त किये जाने, कर्मचारियों के निलम्बन से पूर्व कर्मचारी परिषद का भी अभिमत/विश्वास लिया जाने, कर्मचारियों की समस्याओं के निस्तारण हेतु पूर्व की भांति ग्रीवांस कमेटी गठित किये जाने, जिसमें कुलसचिव, सबंधित संकायाध्यक्ष व विभागाध्यक्ष व प्रवोस्ट व कुलानुशासक, उप कुलसचिव एवं सहायक कुलसचिव के साथ कर्मचारी परिषद की सहभागिता हो तथा शासनादेश के अनुरूप माह में कम से कम एक बार कर्मचारी परिषद एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों की बैठक सुनिश्चित किये जाने, ऐसे स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रम जिनका संचालन नियमित कर्मचारियों के द्वारा किया जा रहा है।
उन्हें उचित मानदेय दिये जाने, सेवानिवृत्ति के उपरान्त 300 दिवस अवकाश नकदीकरण की व्यवस्था जिस पत्र से रोकी गयी थी, शासन द्वारा उक्त व्यवस्था को अग्रिम आदेशों के स्थगन के पश्चात् अवकाश नकदीकरण का भुगतान तत्काल प्रारम्भ किया जाए, कल्याण कोष की खराब वित्तीय स्थिति को सुदृढ करने हेतु एक करोड़ की धनराशि इस कोष में अवलिम्ब अवमुक्त किये जाने, विश्वविद्यालय में नये संचालित किये गये पाठयक्रमों/विभागों के कार्यों के अनुरूप शासन से नये पदों का सृजन कराये जाने, विश्वविद्यालय कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान/निर्णय कराये जाने हेतु मा0 कुलपति जी द्वारा गठित समिति द्वारा समाधान/निर्णय समय सीमा के अन्तर्गत किये जाने एवं विश्वविद्यालय में विभिन्न विभागों/संकायों में परीक्षा की तैयारी तथा प्रयोगात्मक कार्य हेतु पूर्व से मिलने वाला पारिश्रमिक बन्द है उसे पुनः प्रारम्भ किये जाने आदि प्रमुख है।