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2017 से यमन की जेल में कैद भारतीय नर्स की बढ़ीं मुश्किलें, मौत की सजा के खिलाफ दायर याचिका खारिज, जानें पूरा मामला

सनआ: साल 2017 से यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। उनकी सजा-ए-मौत के खिलाफ दायर अपील को यमन के सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। निमिषा मूल रूप से केरल की रहने वाली हैं।

क्या है पूरा मामला

निमिषा करीब 12 साल पहले यमन आई थीं। नौकरी की वजह से निमिषा यमन में ही रह गईं लेकिन उनके पति और बेटी 2014 में भारत लौट आए। निमिषा ने यमन के एक नागरिक तलाल अब्दो मेहदी के साथ मिलकर यमन में ही एक हॉस्पिटल की शुरुआत की। कुछ ही समय में निमिषा और तलाल के बीच विवाद होने लगे और तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट छीन लिया। जब निमिषा ने इस बात की शिकायत यमन अथॉरिटी से की तो तलाल ने कह दिया कि वह निमिषा का पति है। जिसके बाद अथॉरिटी ने साफ कह दिया कि ये पति-पत्नी का मामला है। इसमें उनका कोई रोल नहीं है।

निमिषा ने कर दी तलाल की हत्या

निमिषा ने कथित तौर पर तलाल अब्दो मेहदी नाम के इस शख्स को बेहोशी का इंजेक्शन देकर मार दिया। निमिषा ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि तलाल अब्दो मेहदी के पास उसका पासपोर्ट था और निमिषा पासपोर्ट वापस लेकर भारत वापस लौटना चाहती थी। निमिषा ने एक शख्स की मदद से तलाल के शव को ठिकाने तो लगा दिया लेकिन इस मामले का भंडाफोड़ महज 4 दिन में ही हो गया। जिसके बाद निमिषा गिरफ्तार हो गईं और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई।

निमिषा की मां ने मांगी थी यमन जाने की इजाजत

हालही में खबर सामने आई थी कि दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को अपनी बेटी को मौत की सजा से बचाने के लिए यमन जाने की इच्छुक एक महिला के आवेदन पर फैसला करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। दरअसल यमन में एक यमनी नागरिक की हत्या के लिए मौत की सजा पाने वाली भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया की मां ने पिछले महीने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और पीड़ित परिवार के साथ बातचीत करने के लिए पश्चिम एशियाई देश की यात्रा की अनुमति मांगी थी। वह अपनी बेटी को मृत्युदंड से बचाने के लिए पीड़ित परिवार को ‘ब्लड मनी’ की पेशकश करके बातचीत करना चाहती है। याचिकाकर्ता सरकार द्वारा यमन में भारतीय नागरिकों के आने पर लगाए गए यात्रा प्रतिबंध के बावजूद यमन की यात्रा करने की अनुमति मांग रही हैं।

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