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पिछले चुनाव से कम मतदान, दलों के गठबंधन बदले तो सियासी समीकरणों में भी फेरबदल संभव, ये है बड़ी वजह

लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2024 के पहला चरण का मतदान शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों पर संपन्न हो गया. निर्वाचन आयोग से देर रात तक मिली जानकारी के अनुसार मतदान करीब 60.25 प्रतिशत मतदान हुआ. 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले चरण से अगर इस बार के पहले चरण की तुलना की जाए तो मतदान फीसद करीब 4 प्रतिशत कम रहा. इसके अलावा पिछली बार और इस बार के पहले चरण में कई तरह के बड़े सियासी बदलाव की भी आहट देखने को मिल सकती है.

चुनाव में इस बार रुझान बदले हुए: सियासी जानकारों का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण के हुए चुनाव में इस बार रुझान बदले हुए नजर आ सकते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले चरण में भारतीय जनता पार्टी को 8 सीटों में मात्र तीन सीट जीतने में सफलता मिल पाई थी. वहीं, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी व रालोद के गठबंधन की वजह से विपक्षियों की झोली में 5 सीट आई थी. इनमें बहुजन समाज पार्टी को तीन सीट और समाजवादी पार्टी को दो सीट जीतने में सफलता मिली थी. हालांकि, सपा-बसपा के सहयोग के बावजूद राष्ट्रीय लोकदल को चुनाव जीतने में सफलता नहीं मिल पाई थी. मुजफ्फरनगर से चौधरी अजीत सिंह चुनाव हार गए थे.

2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पहले चरण की सीटों में पीलीभीत, कैराना और मुजफ्फरनगर सीट जीतने में सफलता मिली थी. जबकि सहारनपुर बिजनौर और नगीना में बहुजन समाज पार्टी के हाथी ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को पस्त कर दिया था. मुरादाबाद और रामपुर सीट पर समाजवादी पार्टी की साइकिल की रफ्तार सबसे अधिक रही. दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे. मुजफ्फरनगर सीट पर सपा बसपा गठबंधन के साथ राष्ट्रीय लोकदल भी थी. लेकिन, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह मुजफ्फरनगर सीट पर भारतीय जनता पार्टी के मंत्री संजीव बालियान से चुनाव हार गए थे.

सियासी समीकरणों में हुए कई बदलाव: अब बात करते हैं 2024 के लोकसभा चुनाव में सियासी समीकरणों में हुए बदलाव की. पश्चिम उत्तर प्रदेश में बड़ा जनाधार रखने वाला राष्ट्रीय लोकदल अबकी बार 400 पार के नारे को चरितार्थ करते हुए आगे बढ़ रहा है. चौधरी अजीत सिंह के बेटे चौधरी जयंत भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन में शामिल हो चुके हैं और भारतीय जनता पार्टी के विजय रथ को आगे बढ़ाने में पूरी ताकत लगाए हुए हैं. इसके अलावा सियासी बदलाव में मुख्य रूप से समाजवादी पार्टी इस बार कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. इंडिया गठबंधन के साथ समाजवादी पार्टी चुनाव लड़ रही है. जबकि, बहुजन समाज पार्टी जो 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव लड़ी थी. उस पार्टी ने इन आठ सीटों में से तीन सीट जीतने में सफलता प्राप्त की थी. बसपा इस बार अलग होकर चुनाव लड़ रही है.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बहुजन समाज पार्टी के ऊपर भाजपा की बी टीम होने के आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में इस बार भी जब बहुजन समाज पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश या अन्य जगहों पर अकेली चुनाव लड़ रहीं हैं तो तमाम सीटों पर सियासी समीकरणों को बसपा के प्रत्याशी बिगाड़ने का काम कर रहे हैं. इसे स्वाभाविक रूप से भारतीय जनता पार्टी की सियासी राह आसान होती हुई कई जगहों पर दिख रही है.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी है. इस बार वह कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में है. अखिलेश यादव ने इस बार जातीय समीकरणों को फिट करते हुए अति पिछड़ी जातियों के साथ ही अन्य समाज के लोगों को चुनाव में हिस्सेदारी देते हुए प्रत्याशी घोषित किया है. इसका फायदा समाजवादी पार्टी को मिल सकता है. कई सीटों पर समाजवादी पार्टी या इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों से सीधा मुकाबला करते हुए नजर आ रहे हैं. चुनाव परिणाम क्या होंगे यह तो 4 जून को मतगणना के बाद पता चल पाएगा. इतना जरूर है कि 2019 को लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार मतदान फीसद भी कम हुआ है. सियासी समीकरणों में आए बदलाव की वजह से सियासी परिणाम भी काफी कुछ बदले हुए नजर आएंगे.

2019 में पहले चरण में किसने कितनी सीट जीती : पहले चरण की इन 8 सीटों पर 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी ने तीन सीटों पर विजय हासिल की थी. इनमें पीलीभीत, कैराना और मुजफ्फरनगर सीट शामिल थी. बहुजन समाज पार्टी में भी तीन सीटों पर जीत हासिल की थी. इन सीटों में सहारनपुर, बिजनौर, नगीना जैसी सीट शामिल थी. मुरादाबाद और रामपुर सीट समाजवादी पार्टी जीतने में सफल हुई थी.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक साथ चुनाव लड़े थे. सपा बसपा का गठबंधन हुआ था. जबकि पहले चरण की 8 सीटों पर कांग्रेस पार्टी का खाता नहीं खुला था. रालोद ने भी सपा बसपा गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था, लेकिन उसकी झोली में एक भी सीट नहीं मिल पाई थी. अब इस बार रालोद भाजपा के साथ है तो इसका फायदा भाजपा को जरूर मिलता हुआ नजर आ रहा है.

2024 के पहले चरण में मतदान फीसद की स्थिति : सहारनपुर 63.68, कैराना 61.17, मुजफ्फरनगर 59.29, बिजनौर 58.21, नगीना 59.54, मुरादाबाद 60.60, रामपुर 52.42, पीलीभीत 60.46. इस बार 8 सीटों पर कुल मतदान प्रतिशत 60.25 प्रतिशत है.

2019 में पहले चरण के मतदान फीसद की स्थिति : उस दौरान कुल 64.42% वोट पड़े थे. सहारनपुर 70.83, कैराना 67.44
मुजफ्फरनगर 68.32, बिजनौर 66.15, नगीना 63.64, मुरादाबाद 65.45, रामपुर 63.17, पीलीभीत 67.37.

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