सोशल ऑडिट में नहीं मिला करोड़ों का हिसाब, मनरेगा और प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास में खर्च धनराशि में झोल
लखनऊ। मनरेगा व प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास में खर्च करोड़ों रुपये का हिसाब-किताब सोशल ऑडिट में नहीं मिला है। न ही ब्योरा ग्राम पंचायत स्तर से उपलब्ध कराया गया है। इससे विभाग की प्रगति खराब है। वर्ष 2017-23 तक गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर व मेरठ को छोड़कर अन्य जिलों की बात करें तो सोशल ऑडिट में 13686 मामलों में 42.77 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता पाई गई थी। जिसमें आगे की प्रक्रिया में 19.99 करोड़ रुपये के 7794 मामले सही मिले। यानी खर्च धनराशि की पुष्टि हुई।
जबकि 5892 प्रकरणों में खर्च धनराशि संबंधित अभिलेख पर मिलने पर 22.78 करोड़ रुपये का झोल मिला था। जिसके कार्यों की पुष्टि नहीं हो पाई थी। जिसकी जिले स्तर से वसूली की जानी है। लेकिन, वसूली की प्रगति बेहद धीमी है। इस कारण अब तक के वर्षों में 2272 मामलों में सिर्फ 5.43 करोड़ रुपये वसूल हो पाए हैं। जबकि 3620 मामलों का समाधान नहीं हो पाया है। जिसके 17.35 करोड़ रुपये वसूलना बाकी है। जिस पर शासन ने तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
पहली बार कराया जा रहा 100 फीसद आडिट
वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश में पहली बार 100 फीसदऑडिट कराया जा रहा है। जिसकी केंद्र स्तर से समय-समय पर समीक्षा की जा रही है। इसके लिए अनियमितता से संबंधित प्रकरणों की एटीआर अपलोड करना है। जबकि मनरेगा लोकपालों के मुताबिक शिकायतें व उनके निस्तारण संबंधित रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड नहीं की जाती है।
निदेशालय भेजे जाएंगे वसूली अयोग्य प्रकरण
प्रमुख सचिव हिमांशु कुमार ने सोशल ऑडिट की प्रगति से संंबंधित सभी जिलों को पत्र जारी किया है। जिसमें वित्तीय अनियमितता के प्रकरण की समय से एटीआर अपलोड कराने के निर्देश दिए हैं। यह भी निर्देश दिए कि जो मामले वसूली योग्य नहीं है वह सोशल ऑडिट निदेशालय को भेजे जाएं।
ऑडिट की प्रक्रिया चल रही है। जो कमियां मिलती है उस पर कार्रवाई की जाती है। वसूली भी हो रही है, लेकिन उस अनुसार नही है। जिसे तेजी से करने के निर्देश हैं।
– डीके भागवत, कंसलटेंट, उप्र. सोशल ऑडिट