उत्तर प्रदेशलखनऊ

पीपीपी मॉडल के 18 बस स्टेशनों के लिए नहीं मिल रहे निवेशक, यूपी रोडवेज का प्लान प्रमुख सचिव ने किया खारिज

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 23 बस स्टेशन पीपीपी मॉडल पर बनने हैं जिनमें से पांच बस स्टेशन का अलॉटमेंट हो चुका है. इनमें लखनऊ का विभूति खंड बस स्टेशन भी शामिल है, लेकिन अभी भी 18 पीपीपी मॉडल बस स्टेशनों के लिए परिवहन निगम को निवेशक (Investors not interested for PPP model’s 18 bus stations) नहीं मिल पा रहे हैं. परिवहन निगम के अधिकारियों ने पीपीपी मॉडल पर बस स्टेशन निर्माण के लिए निवेशकों को लुभाने का प्लान बनाया.

प्रस्ताव तैयार किया गया कि देश के विभिन्न राज्यों में रोड शो निकालकर निवेशकों को आकर्षित किया जाए. जब यह प्रस्ताव परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव को भेजा गया, तो उनकी तरफ से खारिज कर दिया गया, जिसके बाद परिवहन निगम के अधिकारियों के प्लान पर पानी फिर गया. अब फिर से निवेशक खोजने की जद्दोजहद शुरू हुई है. लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में 23 बस स्टेशनों को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित किया जाना है.

इनमें से पांच बस स्टेशनों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी पीपीपी मॉडल पर विकसित करने के लिए योगी सरकार की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिल चुका है. इन बस स्टेशन के निर्माण के लिए एलओआई भी जारी हो गई है. 700 करोड़ से ज्यादा की लागत से इन पांच बस स्टेशनों का निर्माण कराया जाएगा. पीपीपी मॉडल पर बनने वाले पांच बस स्टेशनों में से एक बस स्टेशन लखनऊ के विभूतिखंड में भी बनाया जाएगा.

इन 23 बस स्टेशनों पर यात्रियों को सभी अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई जानी हैं. इनकी कनेक्टिविटी बेहतर होगी. 23 चिन्हित बस स्टेशनों के टेंडर में पांच बस स्टेशनों के लिए बिड्स को सही मानते हुए बीती छह जून की मंत्रिपरिषद की बैठक में लेटर आफ इनटेन्ट जारी हुआ. शेष 18 बस स्टेशनों के लिए फिर से निविदा आमंत्रित की गई है. हालांकि लाख प्रयास के बावजूद इन बस स्टेशनों के निर्माण के लिए परिवहन निगम को निवेशक मिल ही नहीं रहे हैं.

यूपी रोडवेज के प्रधान प्रबंधक व प्रवक्ता अजीत सिंह

लिहाजा, अधिकारियों ने एक प्लान तैयार किया कि देश के विभिन्न राज्यों जिनमें गुजरात, महाराष्ट्र कर्नाटक तमिलनाडु व अन्य स्थानों में रोड शो किया जाए और उससे निवेशकों को बस स्टेशन बनाने के लिए आकर्षित किया जाए. अधिकारियों ने इसकी तैयारी भी कर ली, लेकिन उनकी उम्मीदों को झटका लग गया जब प्रस्ताव परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव एल. वेंकटेश्वर लू के पास पहुंचा. उन्होंने इस प्रस्ताव को ही सिरे से खारिज कर दिया और इस तरह निवेशकों को लुभाने के लिए रोड शो करने की सारी मेहनत पर पानी फिर गया. अब एक बार फिर से प्रयास शुरू हुए हैं कि किस तरह इन 18 पीपीपी मॉडल बस स्टेशन के लिए इन्वेस्टर्स को अट्रैक्ट किया जाए.

इन पांच बस स्टेशनों के निर्माण पर 701 करोड़ रुपये होंगे खर्च: पीपीपी मॉडल पर विकसित किये जाने वाले इन पांच बस स्टेशनों के विकास पर कुल 701 करोड़ रुपये की लागत आनी है. जिन पांच बस स्टेशनों को पीपीपी मॉडल पर निर्माण कराए जाने की संस्तुति मिली है उनमें चार बस स्टेशन कौशाम्बी बस टर्मिनल गाजियाबाद, विभूति खण्ड गोमती नगर बस टर्मिनल लखनऊ, सिविल लाइन्स बस टर्मिनल प्रयागराज और गाजियाबाद ओल्ड बस टर्मिनल गाजियाबाद के लिए ओमेक्स लिमिटेड और आगरा फोर्ट बस टर्मिनल आगरा के लिए मेसर्स एजी. इन्टरप्राइजेज को काम सौंपा गया है.

यात्रियों को मिलेंगी ये सुविधाएं: परिवहन निगम के अधिकारियों ने बताया कि पीपीपी मॉडल पर विकसित किए जाने वाले इन बस स्टेशनों में यात्रियों के लिए लाउंज, मॉल, रेस्टोरेंट जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी. बस स्टेशन पर ही यात्रियों के ठहरने के लिए कम कीमत वाले कमरे भी बनाए जाएंगे. लखनऊ के आलमबाग बस स्टेशन पर जो पीपीपी मॉडल का पहला बस स्टेशन है उस पर यात्रियों के लिए कमरों का निर्माण कार्य जारी है. इसी बस स्टेशन की तर्ज पर पीपीपी मॉडल के अन्य बस स्टेशनों पर भी यात्री सुविधाओं का ख्याल रखा जाना है.

इन 18 बस स्टेशनों का होना है निर्माण: साहिबाबाद (गाजियाबाद), बुलंदशहर, ट्रांसपोर्ट नगर व ईदगाह (आगरा), पुराना बस अड्डा मथुरा, वाराणसी कैंट, झकरकटी (कानपुर), जीरो रोड (प्रयागराज), मीरजापुर, अमौसी व चारबाग (लखनऊ), रायबरेली, सिविल लाइंस बरेली, मेरठ, गढ़मुक्तेश्वर, रसूलाबाद (अलीगढ़), अयोध्या और गोरखपुर में रेलवे स्टेशन के सामने स्थित बस स्टेशन शामिल हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) के प्रधान प्रबंधक व प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि विभिन्न राज्यों में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए जो रोड शो का प्लान तैयार किया गया था फिलहाल उसे स्थगित कर दिया गया है. परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक (आईटी) यजुवेंद्र सिंह ने जानकारी दी है कि प्रमुख सचिव (परिवहन) की तरफ से इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल सकी है. अब निवेशकों को लुभाने के लिए अन्य योजनाएं बनाई जा रही हैं.

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