छत्रपति शिवाजी के जीवन में राष्ट्रप्रेम की अलख माता जीजाबाई ने जगाई : भैयाजी जोशी
लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य भैयाजी जोशी ने जाणता राजा कार्यक्रम को सम्बोधित करते कहा कि देश के लिए कभी झुकना पड़ता है तो झुक गए, जरूरत पड़े तो तलवार उठाएं। वही राजा सम्माननीय होता है। ऐसे ही छत्रपति शिवाजी महाराज थे। वह समझदार थे, जानकार थे इसीलिए उनके नाम के पीछे जाणता लगाया गया। ऐसे ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी हैं। इन्हें देखकर जो समझा जा सकता है, यह वही हैं।
दिव्य प्रेम सेवा मिशन की ओर से मंगलवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित “छत्रपति शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व एवं कृतित्व वर्तमान परिस्थिति में” विषयक व्याख्यान पर बोलते हुए भैयाजी जोशी ने कहा कि दुनिया के किसी राजा से पहले जाणता नहीं लगाया गया। केवल छत्रपति शिवा जी के नाम के पीछे लगा है। उन्हें शिव के रूप में भी जाना गया। वह ऐसी जीजाबाई माता की संतान थे जिन्होंने उन्होंने जीवन का उद्देश्य बताया। शिवा जी ने उसे पल पल जीते हुए अपने जीवन को आगे बढ़ाया।पराक्रमी तो मुगल भी थे। लेकिन वह कहते थे कि घृणा और डर ही उनकी शक्ति है। यह हम लोग नहीं कहते। सच्चे पराक्रमी तो छत्रपति शिवाजी थे। उन्होंने अपनी जन्मभूमि को आजाद कराने के लिए लड़ाई शुरू की। शिवाजी ने युवाओं में देश के लिए लड़ने के लिए जोश भरा। उन्हें तैयार किया।
नेतृत्व का दृष्टिकोण बहुत महत्वपूर्ण होता है। शिवाजी के जीवन की विशेषता है कि वह स्वयं महत्वपूर्ण घटनाओं में मौजूद रहता था। अफजल खान उनके सामने था। अफजल के सामने उन्होंने बहाने बनाये। उसे बड़ा बताया। अपने यहां आने को आमंत्रित किया। अफजल को अपनी सीमा में लाये। माता जीजा बाई की इच्छा थी कि काली मां के सामने बलि चढ़ा दी जाए। उनके पास ऐसी शिक्षा नहीं थी कि जब कोई राष्ट्र पर आक्रमण करे, फिर हम बदला लेंगे। उन्होंने अफजल के साथ जो किया, सब जानते हैं। शिवा जी जिन्होंने देश के लिए झुकने में भी संकोच नहीं किया वह छत्रपति शिवाजी हैं।
शिवाजी का महिलाओं के प्रति अपार सम्मान था। उनके राज्य में महिलाओं पर कुदृष्टि रखने वालों को मृत्यु दंड दे दिया जाता था। उनका जीवन इस प्रकार था। शिवा जी जहां झुकना पड़ा, वहां झुके और जरूरत पर भवानी तलवार उठाई। राजा के पीछे धर्मदंड होता है। जब कोई राजा कहता है कि उसे कोई दंड नहीं दे सकता। तब धर्मदंड कहता है कि मैं हूँ आपको दण्ड देने वाला। ऐसा ही धर्मदंड संसद में पिछले दिनों स्थापित किया गया है।
सरकारों में मंत्रिमंडल की बैठकें होती हैं। निर्णय होते हैं। यह आज की व्यवस्था नहीं है। शिवाजी ने मंत्रिमंडल का पहली बार गठन किया था। उसे अष्ट प्रधान कहा गया था। कहा था कि उनके मंत्रिमंडल में कभी भी बैठक हो सकती है। लोक कल्याण के लिए निर्णय लेंगे।शिवाजी के कार्यकाल में ही अंग्रेजों का आना शुरू हो गया था। अंग्रेज बड़ी जहाज से आये तो शिवाजी ने छोटी नौकाओं का निर्माण कराना शुरू किया। नौसेना खड़ी की। उस सेना को लीड करने वाला एक मुस्लिम था। हमारा दुर्भाग्य था कि वह उसी दौरान धरती छोड़ कर चले गए। पांच से छह साल और रहे होते तो भारत में अंग्रेजों का प्रवेश नहीं हो पाता। एक मात्र राजा है, जिसे श्रीमंत कहा गया है। जिसे जानकर, समझदार कहा गया। वैसे ही हमारे शिवाजी महाराज थे।
शिवाजी हमारे नायक हैं, हमें याद रखना होगा : योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज जिस भारत को हम देख रहे हैं, वह अंग्रेजों की देन नहीं है। हजारों वर्ष पूर्व एक भारत था जिसने हमारी संस्कृति और सभ्यता की रक्षा की है। देवताओं द्वारा रक्षित भूमि भारत है। आज का राजनीतिक भारत हो सकता है। आपने नेपाल की संसद में हंगामे को देखा होगा। वहां के प्रधानमंत्री को संसद में कहना पड़ा कि यह नक्शा जो आप लोग कह रहे हैं, सांस्कृतिक भारत का है। आज का भारत अलग है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारत के आदर्शों को हमारी माताएं बच्चों को सुनाती आई हैं। अलग-अलग कालखंड में सत्ताएं आई होंगी लेकिन भारत ने अपने सत्व को बनाये रखा। याद करिए कि केरल में जन्में आदि शंकराचार्य ने भारत में चार पीठों की स्थापना की। मात्र 32 साल की उम्र में समाधि ले लीं। सत्ताएं थीं लेकिन धर्म अपना कार्य कर रहा था। तमाम महापुरुष ऐसे आए हैं। काम किया है। हमने उसे भुलाने का काम किया।मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया के सबसे पहले सर्जन भारत में महर्षि सुश्रुत थे। ऋषि भारद्वाज, महर्षि कणादि की कोई चर्चा नहीं करता है। 350 वर्ष पहले छत्रपति शिवाजी ने जो हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की, उसके बारे में लोगों को जानकारी उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है। जाणता राजा का मंचन कराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि आगरा में मुगल म्यूजियम था। हमने कहा कि मुगलों से यहां का क्या नाता। हमने उसे शिवाजी के नाम पर कर दिया। शिवाजी हमारे नायक हैं। हमें याद रखना होगा। नाथ सम्प्रदाय के योगी सुन्दरनाथ जी के बारे में कहा कि वह आज भी भक्तों को दर्शन देते हैं। बद्रीनाथ धाम में उनकी अपनी मान्यता है। यह विभूतियां दिव्यदृष्टि देती हैं। याद रखना होगा कि शिवाजी के पीछे माता जीजाबाई और समर्थ गुरु रामदास की दिव्यदृष्टि थी। जो राष्ट्र का दुश्मन है, वह हमारा भी दुश्मन है। यह दृष्टि उन्होंने उस समय दी थी। सेना छोटी के होने के बावजूद उन्होंने मुगलों से जंग लड़ी। कवि ने कविता के माध्यम से कहा कि जिस प्रकार हिरन के झुंड पर चीता भारी है, अंधकार पर प्रकाश की एक किरण और कंस पर कृष्ण भारी हैं, उसी प्रकार म्लेच्छ वंश पर शिवा जी भारी हैं। इस मौके पर दिव्य प्रेम सेवा मिशन के अध्यक्ष आशीष भैया ने अपने 27 सालों के अनुभव को साझा किया।
26 से 31 अक्टूबर तक जनेश्वर मिश्र पार्क में जाणता राजा का होगा मंचन-
मिशन की ओर से 26 से 31 अक्टूबर तक लखनऊ में जाणता राजा नाटक का मंचन किया जाएगा। यह नाटक छत्रपति शिवाजी के जीवन पर आधारित है। यह नाटक लखनऊ के जनेश्वर मिश्रा पार्क में होगा। इसे सफल बनाने के लिए आज से ही दिव्य प्रेम सेवा मिशन की ओर से सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। सवा लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है। एक हजार रुपये देकर कोई भी सदस्य बन सकेगा। यही सदस्य नाटक देख सकेंगे। इस मौके मिशन के संयोजक संजय चतुर्वेदी, उपाध्यक्ष व भाजपा नेता कामेश्वर सिंह, आरएसएस के क्षेत्र प्रचारक अनिल, वरिष्ठ प्रचारक वीरेंद्र सिंह समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।