रायबरेली: हेरिटेज ट्री योजना का निकला दम, नहीं मिला धेला
- 100 साल पुराने प्राचीन पेड़ों को सहजने के लिए बनी थी योजना
रायबरेली। कोरोनाकाल के दौरान जब ऑक्सीजन को लेकर हाय-तौबी मची थी तो उस दौरान पेड़ों की याद आ गई थी। कोरोना से पीड़ित मरीज दम निकलने से बचने के लिए पेड़ों की छांव में रहकर ऑक्सीजन लेते थे। जब कोरोना की दूसरी भयावह लहर खत्म हुई तो शासन स्तर पर पौराणिक पेड़ों को संरक्षित करने के लिए हेरीटेज ट्री योजना को शुरू किया गया।
लक्ष्य रखा गया कि प्रदेश के हर जिले में 100 साल पुराने पेड़ों को संरक्षित किया जाएगा तथा उन्हें पर्यटन के रूप में विकसित किया जाएगा। जिले में भी इस योजना के तहत 32 पौराणिक पेड़ों को संरक्षित करने के लिए वन विभाग ने चिन्हित किया था। जिसकी रिपोर्ट शासन को भेजी गई लेकिन हाल यह है कि एक भी पेड़ संरक्षित नहीं किया गया। बजट के नाम पर एक रुपया शासन से नहीं मिल सका। ऐसे में ढाक के तीन पात सरीखी यह योजना रह गई है।
कोराना आया तो हर तरफ पेड़ों के महत्व को जाना गया। शासन से लेकर जन प्रतिनिधियों ने पेड़ों को संरक्षित करने के साथ पेड़ लगाने की हूक भरी लेकिन जैसे-जैसे लहर खत्म हुई तो सारी मंशा ठंडे बस्ते में चली गई। हेरीटेज ट्री योजना भी इसी अनदेखी के कारण गुमनाम हो गई है। दो साल पहले इस योजना को लेकर बहुत शोर हुआ। शासन से लेकर प्रशासन तक एक पैर पर खड़ा दिखा।
वहीं जैसे ही कोराना की लहर इंडेमिक होना शुरू तो योजना भी भूला दी गई। जिले में इस योजना के तहत 32 प्राचीन पेड़ों को संरक्षित करने का लक्ष्य तैयार किया गया। जिले में सेमरपहा में बरगद का पेड़ और गेगासो में पीपल के पेड़ सबसे पुराना है। इनकी आयु करीब 300 वर्ष आंकी गई है। यह सबसे प्राचीन पेड़ हैं।
इसी तरह इसी तरह साधुकुआ में 140 साल पुराना बरगद का पेड़ लगा है। वहीं भेलिया में 175 साल पुराना बरगद का पेड़ है तथा मोहमदाबाद में 150 साल पुराना पीपल का पेड़ है। यह वह पेड़ हैं जो धार्मिक लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। लोग इन पेड़ों की पूजा-अर्चना करते हैं तथा यह ऑक्सीजन का बड़ा भंडार हैं।
पहले 55 पेड़ों की बनाई गई थी सूची
जिले में हेरीट्रेज ट्री योजना के तहत जो सूची बनाई गई थी उसमें 55 पेड़ों को स्थान दिया गया था। बाद में इस सूची में संसोधन किया गया तथा 33 पेड़ों को भी योजना में शामिल किया गया।
पौराणिक पेड़ों को संरक्षण से बढ़ता पर्यटन
जिले में पर्यटन की संभावनाओं को और विकसित करने के लिए पौराणिक पेड़ों को संरक्षित करने के साथ उन्हें पर्यटन स्थन के रूप में विकसित करने की मंशा थी। यदि ऐसा होता तो जिले में 32 पर्यटन स्थल बन जाते। लोग इन पेड़ों के महत्व को जानते तथा बाहर से भी लोग इन्हें देखने के लिए आते लेकिन एक पैसा संरक्षण के लिए खर्च नहीं किया गया। इसका नतीजा है कि प्राचीन पेड़ अपनी पहचान के लिए आस लगाए हैं।
शासन इस योजना को हेरिटेज ट्री नाम दिया था। हम लोगों को काम सिर्फ इतना था उनको चिन्हित करके शासन को रिपोर्ट भेजना हम लोगों ने 32 प्राचीन पेड़ों को चिन्हित करके शासन की रिपोर्ट भेज दी गई थी। इस योजना में जिला स्तर का कोई काम नहीं था। स्टेट लेवल की टीम आकर आगे की चीजों को डिसाइड करने की प्रक्रिया थी…, आशुतोष जायसवाल, प्रभागीय निरीक्षक, वन विभाग रायबरेली।