क़ुरआन में है कुर्बानी करने का हुक्म : कारी अनस

गोरखपुर। मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर के शिक्षक कारी मोहम्मद अनस रजवी ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम में कुर्बानियों का महत्वपूर्ण स्थान है। अजमत-ए-इस्लाम व मुस्लिम कुर्बानी में है। उसी में से एक ईद-उल-अजहा पर्व है, जो माहे जिलहिज्जा का चांद देखे जाने पर 29 या 30 जून को मनाया जाएगा। मुसलमानों द्वारा लगातार तीन दिन तक कुर्बानी की जाएगी। अल्लाह का क़ुरआन-ए-पाक में इरशाद है कि ‘ऐ महबूब अपने रब के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो’।
ईद-उल-अजहा पर्व एक अज़ीम बाप व अज़ीम बेटे की कुर्बानी के लिए याद किया जाता है। पैगंबर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व पैगंबर हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम से मंसूब कुरआन व हदीस से साबित एक हकीकी वाकया इस पर्व की बुनियाद है। कुर्बानी का जानवर जिब्ह करने के वक्त बंदों की नियत होती है कि अल्लाह राजी हो जाए, यह भी नियत रहती है कि मैंने अपने अंदर की सारी बदअख्लाकी और बुराई सबको मैंने इसी कुर्बानी के साथ जिब्ह कर दिया और इसी वजह से दीन-ए-इस्लाम में ज्यादा से ज्यादा कुर्बानी का हुक्म दिया गया है।