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पन्नू केस में अमेरिकी कोर्ट ने भारत सरकार को भेजा समन तो विदेश मंत्रालय ने दिया करारा जवाब

Gurpatwant Pannu Case: अमेरिका की एक अदालत ने खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के दावे पर भारत सरकार और शीर्ष अधिकारियों को समन भेजा है। पन्नू ने एक सिविल केस में हत्या की साजिश का आरोप लगाया है। समन न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले में यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने जारी किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस समन को पूरी तरह से अनुचित करार दिया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि जब यह मामला सरकार के संज्ञान में आया तो कार्रवाई की गई।

‘पूरी तरह से अनुचित मामला’

विक्रम मिस्री ने बताया कि एक उच्च स्तरीय समिति इस मामले को देख रही है। विक्रम मिस्री ने कहा कि यह पूरी तरह से अनुचित मामला है। मैं आपका ध्यान उस व्यक्ति की ओर आकर्षित करना चाहता हूं जिसने यह मुकदमा दायर किया है। पन्नू के बैकग्राउंड के बारे में सब जानते हैं। वह एक गैरकानूनी संगठन से जुड़ा है जिस पर UAPA के तहत प्रतिबंध लगाया गया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि यह संगठन राष्ट्र विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल है।

हत्या की साजिश के मामले में निखिल गुप्ता और विक्रम यादव को भी समन भेजा गया है। निखिल गुप्ता को पिछले साल न्यूयॉर्क में पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर चेक गणराज्य में अरेस्ट किया गया था, उन्हें इस साल जून में चेक गणराज्य से अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया था। अप्रैल 2024 में द वाशिंगटन पोस्ट ने भारत के रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के एक अधिकारी विक्रम यादव को साजिश में शामिल बताया था, रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि तत्कालीन रॉ चीफ सामंत गोयल ने ऑपरेशन को मंजूरी दी थी। हालांकि, केंद्र ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि यह दावा पूरी तरह से अनुचित और निराधार है कि पन्नू की हत्या के प्रयास में भारतीय एजेंट शामिल थे। 

भारत में वॉन्टेड है पन्नू 

गुरपतवंत सिंह पन्नू सिख फॉर जस्टिस नाम के संगठन का प्रमुख है। वह भारतीय नेताओं और संस्थानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण और धमकी देता रहा है। भारत ने उसे 2020 में आतंकवादी घोषित कर दिया था। पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है। वह आतंकवाद के आरोपों में भारत में वॉन्टेड है।

प्रभावित नहीं होंगे भारत-अमेरिका संबंध

इससे पहले इसी साल मई में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत मामले की जांच कर रहा। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि यह मामला भारत-अमेरिका के संबंधों को प्रभावित नहीं करेगा। जयशंकर ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा था कि हम इसकी जांच कर रहे। भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने भी कहा है कि ये मामला भारत-अमेरिका संबंधों को प्रभावित नहीं करेगा।

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