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धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के चुनावी रण में नवीन जिंदल को आशीर्वाद देने पहुंच रहे हैं बड़े-बड़े धर्म प्रचारक, धर्मगुरु और साधु संत महात्मा

धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में जीत का पंचरम लहराना हो तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि यहां सनातनी साधु संतो का आशीर्वाद अति आवश्यक है।

क्योंकि इस भूमि की जनता भी काफी हद तक धार्मिक विचारों- संस्कारों वाली मानी जाती है इस बात को नवीन जिंदल बखूबी जानते- समझते भी हैं।

क्योंकि लंबे समय तक वह यहां की राजनीति में सक्रिय रहने के साथ-साथ 2004 और 2009 में चुनावी रण जीत यहां से सांसद बनने का गौरव प्राप्त हो चुके हैं और दोनों बार साधु- संतों- महात्माओं का भरपूर आशीर्वाद उन्हें मिलता रहा है।

वहीं इसका दूसरा पहलू यह भी है कि नवीन जिंदल वैश्य समाज से संबंध रखते हैं और इस समाज के व्यक्ति ज्यादातर धार्मिक रीति-रिवाज संस्कार और धर्म से जुड़े सम्मानित व्यक्तियों को ज्यादा मान सम्मान देते हैं और नवीन जिंदल वैसे भी एक बड़े दानी परिवार के वंशज भी हैं।

जिस कारण से भी उनके परिवार का सम्मान इस क्षेत्र में काफी अधिक है और इन चुनावों में तो अपने आपको सबसे बड़ा हिंदू तथा अपनी पार्टी को सबसे बड़ी हिंदू हितेषी पार्टी साबित करने की होड़ मची है।

तो ऐसे में सभी नेता अपने-अपने तरीके से धार्मिक आयोजन भी करवा रहे हैं तथा धार्मिक संगठनों से भी खूब मुलाकातों का दौर चल रहा है।

एक बड़े व्यवसायी और राजनीतिक परिवार से संबंध रखने वाले नवीन जिंदल राजनीतिक रूप से बेहद सुलझे हुए और परिपक्व व्यक्ति हैं और इन चुनावों में वह धर्म के महत्व के फायदे- नुकसान को भी भली भांति समझते हैं।

वैसे तो हरियाणा की राजनीति में सदा से धर्म प्रचारकों, साधु-संतों के माध्यम से राजनीतिक आशीर्वाद मिलना आम बात रहा है। लेकिन हरियाणा की चर्चित कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर बड़े-बड़े कथा वाचक, संत महात्मा व कई धार्मिक गुरु बुलाए गए हैं। जिनके द्वारा नवीन जिंदल को आशीर्वाद देते हुए एक बड़ा संदेश जनता के लिए छोड़ा गया है।

पिछले कुछ दिनों में बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री, बड़े फॉलोवर्स वाली कथावाचक जय किशोरी, कुमार स्वामी, एक बड़े संत के रूप में विख्यात धर्मदेव जी महाराज, राजेंद्र पुरी, स्वामी संपूर्णानंद जैसे संतो द्वारा भाजपा के उम्मीदवार नवीन जिंदल को आशीर्वाद देते हुए उन्हें एक नेक और सामाजिक व्यक्ति के रूप में संबोधित किया गया है।

गौरतलब है कि नवीन जिंदल नामांकन भरने से पहले भी कई संतों का आशीर्वाद लेकर निकले थे। लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी के बैनर तले अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि को मजबूत करने वाले जिंदल परिवार के इस वंशज नवीन जिंदल ने हाल ही में कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था।

जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। नवीन जिंदल कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में 2004 से 2014 तक दो कार्यकालों के लिए लोकसभा में कुरुक्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

लगातार 2 प्लान सांसद रहने के बाद 2014 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राजकुमार सैनी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

इसके बाद 2019 में कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं दिया। प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी 2019 में यहां से भाजपा की टिकट पर सांसद चुने गए थे।

लेकिन अब वह मुख्यमंत्री हैं और करनाल विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ रहे हैं। जिंदल के भाजपा में शामिल होने के फैसले ने भाजपा की इस सीट से एक सशक्त उम्मीदवार की जरूरत तथा नवीन जिंदल को मौजूदा दौर की लहर के मुताबिक पार्टी मिलने की जरूरत को पूरा कर दिया।

आज वह बीजेपी की टिकट पर कुरुक्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। बता दें कि नवीन जिंदल पेशे से एक बड़े उद्योगपति हैं। वह जिंदल स्टील एंड पावर के अध्यक्ष हैं।

9 मार्च 1970 को जन्मे नवीन जिंदल परिवार की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेटवर्थ 2.12 लाख करोड़ रुपये के करीब है। वहीं, नवीन जिंदल को उस व्यक्ति के रूप में भी जाना जाता है जिन्होंने सभी भारतीयों को तिरंगा फहराने का अधिकार दिलाया था।

सूत्रों के अनुसार कुरुक्षेत्र सीट के चुनावी रण में कड़ी कांटे की टक्कर है। वैसे तो मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच बताया जा रहा है लेकिन इनेलो पार्टी के वरिष्ठ नेता अभय चौटाला भी यहां चुनावी मैदान में है।

उनकी लोकप्रियता को भी नकारा नहीं जा सकता। इसी कारण से सभी उम्मीदवार किसी भी प्रकार की कोर कसर नहीं छोड़ रहे।

धर्मनगरी कुरुक्षेत्र की जनता धर्म के प्रति काफी हद तक समर्पित मानी जाती है, इस कारण से भी सभी उम्मीदवार धार्मिक लोगों के आशीर्वाद लेकर जनता से वोट पाने की कोशिशों में जुटे नजर आ रहे हैं।

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