उत्तर प्रदेशरायबरेली

रायबरेली : सत्यम हास्पिटल के निलंबन के विरोध में चिकित्सक, सीएमओ को दिया अल्टीमेटम

रायबरेली। दो माह के बच्चे की जान चली गई और उस पर मंडलायुक्त के निर्देश पर अस्पताल पर निलंबन की कार्रवाई हुई तो चिकित्सकों में उबाल आ गया। चिकित्सकों ने ब्लैक डे मनाकर कार्रवाई का विरोध किया। वहीं सीएमओ को तीन दिन में चल रही जांच रिपोर्ट को सामने लाने की चेतावनी दी गई। साफ कहा गया कि यदि अस्पताल का लाइसेंस बहाल न किया गया तो आईएमए लड़ाई लड़ेगा।

गौरतलब है कि लालगंज के रानीपुर निवासी सुरेश कुमार शर्मा ने अपने बच्चे राघव (2) को बुखार आने पर 13 जून को सत्यम हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान अस्पताल के चिकित्सक ने बच्चे के हाथ में गलत वीगो लगा दिया जिससे उसके हाथ में गैग्रीन फैल गया। वहीं 8 जुलाई को मासूम राघव का एम्स में हाथ काटना पड़ा था। रात में ही राघव की मौत हो गई थी। मामले को लेकर 18 जुलाई को कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित बचत भवन में जनता दर्शन के दौरान राघव के पिता सुरेश कुमार ने कमिश्नर रोशन जैकब से न्याय की गुहार लगाई थी। इस पर मंडलायुक्त ने सीएमओ डॉ. वीरेंद्र सिंह जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया था।

गुरुवार को सीएमओ डॉ. वीरेंद्र सिंह ने सत्यम हॉस्पिटल का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया था। इसे लेकर शुक्रवार को आईएमए के बैनर तले निजी चिकित्सकों ने सीएमओ कार्यालय पर प्रदर्शन किया। ब्लैक डे मनाते हुए सत्यम हॉस्पिटल को सस्पेंड किए जाने की कार्रवाई को एकतरफा बताया। जमकर विरोध किया गया तथा तीन दिन का अल्टीमेटम देते हुए सीएमओ डा. वीरेंद्र सिंह को ज्ञापन दिया। कहा गया कि तीन दिन में यदि सत्यम हास्टिपल का लाइसेंस बहाल नहीं किया जाता है तो फिर आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने बातचीत करते हुए बताया कि मामले को लेकर एक टीम जांच कर रही थी तो फिर अचानक मंडलायुक्त के निर्देश पर हास्पिटल का लाइसेंस निरस्त करना गलत है।

जांच पिछले 15 दिन से चल रही है और उसकी रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं लाई गई। जबकि रिपोर्ट में अस्पताल प्रशासन को क्लीन चिट दिए जाने का जिक्र है। वहीं मामला कोतवाली में भी दर्ज है और उसकी भी रिपोर्ट नहीं आई है। मंडलायुक्त के निर्देश पर अचानक कार्रवाई करना कतई जायज नहीं है। इसका सभी चिकित्सक विरोध करते हैं। मामले को आईएमए लखनऊ और आईएमए दिल्ली को भी जानकारी दी गई है। साथ ही नर्सिंग होम एसोसिएशन भी खड़ा है। सीएओ को तीन दिन का समय दिया गया है। यदि इस दौरान रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती है तो फिर हक के लिए लड़ाई लड़ी जाएगी।

भगवान का दंड देने वाले दे रहे दुहाई

दो साल के मासूम बच्चे की मौत हो गई है और चिकित्सक हॉस्पिटल के सम्मान की बात कर रहे हैं। उस बच्चे की क्या गलती थी जिसके साथ इलाज में लापरवाही की गई। लापरवाही किस स्तर पर हुई यह सबकुछ जांच पर टिकी हुई है। लेकिन जिस तरह से हास्पिटल के साथ चिकित्सक खड़े नजर आ रहे हैं। इससे साफ पता चल रहा है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ी जरूर हुई है। सबसे खास बात यह है कि आईएमए के प्रेसवार्ता में बच्चे की मौत पर निर्लज्ज होकर जिस तरह से भगवान का दंड देने की बात कह रहे थे। आज वही चिकित्सक दुहाई देते नजर आ रहे हैं। आरोप को गलत बता रहे हैं।

सोशल मीडिया पर चिकित्सकों की जमकर हो रही किरकिरी

चिकित्सक को धरती का भगवान कहा जाता है। आज कल उनकी जमकर किरकिरी हो रही है। राघव की मौत के मामले में चिकित्सकों के बेतूके बयानबाजी का हर कोई विरोध कर रहा है। सबसे खास बात यह है कि कोई उन्हें कथावाचक तो कोई हत्यारा तक कह रहा है।

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