अंतर्जातीय विवाह करने पर 150 परिवारों को जाति से निकाला, महाराष्ट्र के सांगली में नंदीवाले समाज के 6 सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज
इस आधुनिक कहे जाने वाले समाज में रहते हुए भी अंतर्जातीय विवाह करने की वजह से 150 परिवारों को जाति से बहिष्कृत करने की खबर सामने आई है. यह खबर महाराष्ट्र के सांगली जिले की है. फिलहाल इन परिवारों को जाति से बाहर निकालने वाले नंदीवाले समाज के जात पंचायत के 6 सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है.
इस्लामपुर के प्रकाश भोसले (उम्र 42) ने इस मामले में स्थानीय पलूस पुलिस थाने में जाकर जात पंचायत के पंचों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी. इसके अलावा अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्यकर्ताओं ने भी जाति से बहिष्कृत करने का फैसला देने वाले पंचों के खिलाफ एक मुहिम शुरू कर दी थी. जात पंचायत के छह पंचों के खिलाफ केस दर्ज होने में इन अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रही.
जिन छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है उनमें नंदीवाले समाज के पंच विलास भिंगार्डे, चंद्रकांत पवार, शामराव देशमुख, अशोक भोसले, किसन इंगवले और विलास मोकाशी के नाम शामिल हैं. इनमें विलास भिंगार्डे और चंद्रकांत पवार इस्लामपुर के रहने वाले हैं. शामराव देशमुख और अशोक भोसले दुधोंडी के रहने वाले हैं. किसन इंगवले जुलेवाडी और विलास मोकाशी निमणी के रहने वाले हैं.
जाति से बहिष्कृत होने के बाद 150 परिवारों के साथ यह सलूक हो रहा है
इंटर कास्ट मैरेज करने की वजह से बहिष्कृत किए हुए 150 शादी-शुदा जोड़ों को सुख-दु:ख में बुलाया नहीं जाता है, ना ही ऐसे समय में इनके घर नंदीवाले काशी कापडी समाज का कोई व्यक्ति आता है. समाज और जाति के लोगों ने इनसे मिलना-जुलना और घर आना-जाना बिलकुल बंद कर दिया है. अपने ही समाज के लोगों द्वारा इस तरह के व्यवहार किए जाने के बाद जाति से बहिष्कृत परिवारों ने अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के सातारा शाखा से संपर्क किया और उनसे इस बहिष्कार को उठवाने में मदद करने की अपील की.
जात पंचायत के सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज करने के सिवा कोई चारा नहीं था
इसके बाद अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्यकर्ताओं ने कुछ पंचों से संपर्क किया और उन्हें यह सूचित किया कि इन परिवारों को जाति से बहिष्कृत करने का उनका फैसला गैरकानूनी है. इसके बाद उन पंचों ने अपने फैसले को वापस लेने की बात कबूल की. लेकिन 9 जनवरी को पलूस तालुका के सांडगेवाडी में हुई जात पंचायत की बैठक में बहिष्कार को कायम रखने का फैसला किया गया. इसके बाद पीड़ितों के पास इन जात पंचायतों के पंचों के खिलाफ केस दर्ज करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा.