बकरीद 29 जून को अकीदत व रवायत के मुताबिक मनाई जाएगी, तैयारियां शुरू खरीदा जाने लगा बकरा
गोरखपुर। सोमवार को इस्लामी माह जिलहिज्जा का चांद जिले में देखा गया। तंज़ीम उलमा-ए-अहले सुन्नत की चांद कमेटी के मुफ़्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन मन्नानी, नायब काजी मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी, मुफ्ती मुनव्वर रज़ा, कारी अफजल बरकाती, मौलाना गुलाम अहमद व मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने ऐलान किया कि जिलहिज्जा की पहली तारीख मंगलवार 20 जून को होगी। गुरुवार 29 जून को ईद-उल-अजहा (बकरीद) पर्व अकीदत व रवायत के मुताबिक मनाया जाएगा।
वहीं 29, 30 जून व 1 जुलाई को लगातार तीन दिन तक कुर्बानी की जाएगी। उलमा किराम ने पर्व में अमन, शांति व भाईचारा बनाए रखने और साफ सफाई का खास ख्याल रखने की अपील की है। मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर के शिक्षक कारी मोहम्मद अनस रजवी ने बताया कि कुर्बानी करने का हुक्म क़ुरआन-ए-पाक में दिया हुआ है। कुर्बानी करना वाजिब है।
कुर्बानी हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। जो इस उम्मत के लिए बरकरार रखी गई है और पैगंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इसका हुक्म दिया गया है। इस पर्व में हर वह मुसलमान जो आकिल, बालिग, मुकीम, मर्द, औरत जो कुर्बानी के तीनों दिन के अंदर जरुरते अस्लिया को छोड़कर, कर्ज से फारिग होकर तकरीबन 45 हजार रुपये का मालिक हो जाए तो उसके ऊपर कुर्बानी वाजिब है। इसी वजह से हर मुसलमान इस दिन कुर्बानी करवाता है। ईद-उल-अजहा पर्व 29 जून को परंपरा व अमन शांति के साथ मनाया जाएगा। मुसलमानों द्वारा 29, 30 जून व 1 जुलाई को कुर्बानी अदा की जाएगी।
सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने बताया कि जिलहिज्जा इस्लाम धर्म का 12वां व अंतिम महीना है। बकरों की खरीदारी शुरू हो गई है। गली मोहल्ले में कुर्बानी के बकरे बिक रहे हैं। पर्व के करीब आते ही जामा मस्जिद उर्दू बाजार के बाहर, इलाहीबाग, खूनीपुर, जाहिदाबाद, शाहमारूफ, अस्करगंज, तुर्कमानपुर, रसूलपुर, गोरखनाथ, रहमतनगर, उंचवा, जाफरा बाज़ार सहित कई जगहों पर कुर्बानी के जानवरों का बाज़ार गुलजार होगा।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम मौलाना महमूद रजा कादरी ने बताया कि जिलहिज्जा माह की 10 तारीख़ को ईद-उल-अजहा (बकरीद) पर्व मनाया जाता है। पर्व के मौके पर मुस्लिम समाज द्वारा लगातार तीन दिन तक कुर्बानी की जाती है। जिलहिज्जा माह में ही देश व दुनिया के लाखों मुसलमान हज अदा करते हैं। भारत से भी बड़ी संख्या में हज यात्री मक्का व मदीना शरीफ़ पहुंचे हुए हैं।