बांदा नगर पालिकाः बर्खास्त अध्यक्ष की पत्नी गीता साहू सभी दलों के प्रत्याशियों पर पड़ सकती हैं भारी
बांदा। नगर पालिका परिषद बांदा में अध्यक्ष पद की कुर्सी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से छीनने वाले मोहन साहू को सत्ता पक्ष ने स्वतंत्रता से कार्य करने नहीं दिया। कभी वित्तीय अधिकार सीज कराया, तो कभी बर्खास्त करा दिया। अब इस सीट को महिला सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया है। ऐसे में पूर्व अध्यक्ष मोहन साहू एक बार फिर पत्नी गीता साहू को चुनाव मैदान में उतारने जा रहे हैं। जो अन्य प्रत्याशियों पर भारी पड़ सकती हैं।
बीजेपी को हराकर सपा ने जीत दर्ज की थी
निकाय चुनाव 2017 में समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर चुनाव लड़े मोहन साहू ने भाजपा के चेयरमैन रहे विनोद जैन से यह कुर्सी छीन कर सपा की झोली में डाल दी थी। दिसंबर 2017 को हुए चुनाव में मोहन साहू ने 22907 वोट हासिल करके भाजपा के निकटतम प्रतिद्वंदी शिवपूजन गुप्ता को 3017 वोटों से पराजित किया था। शिवपूजन को 19890 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के मोहम्मद इदरीश तीसरे स्थान पर रहे थे उन्हें 11,951 वोट मिले थे। वही बसपा के श्याम मोहन धुरिया चौथे स्थान पर चले गए थे। उन्हें 10711 वोट मिले थे।
विधायक की शिकायत पर चेयरमैन के खिलाफ हुई कार्रवाई
सपा के मोहन साहू द्वारा अध्यक्ष पद हथियाने पर भाजपा के नेताओं को उनका कुर्सी पर बैठना रास नहीं आया। सत्ता पक्ष का लाभ उठाते हुए भाजपा नेताओं ने तमाम शिकायतें की। जांच का दौर पूरे पांच साल तक चलता रहा। इस दौरान साहू अपने कार्यकाल में स्वतंत्रता से कोई भी कार्य नहीं कर पाए। दोनों पक्षों से आरोप-प्रत्यारोप चलते रहें।
बीजेपी विधायक प्रकाश द्विवेदी की शिकायत पर अगस्त 2021 में अध्यक्ष मोहन साहू के वित्तीय अधिकार सीज कर दिए गए। तब इस मामले को लेकर वह इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गए, कई महीने बाद उन्हें राहत मिली और उनके वित्तीय अधिकार बहाल कर दिए गए। लेकिन कुछ महीने बाद एक बार फिर विधायक की शिकायत पर राज्यपाल ने उन्हें पद से बर्खास्त कर दिया।
कोर्ट से कई बार मिली राहत
राज्यपाल के आदेश को भी अध्यक्ष ने कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट से फिर राहत मिल गई, लेकिन प्रशासन ने शासन से कोई आदेश न आने का बहाना करते हुए अंततः उन्हें चार्ज नहीं लेने दिया, तब तक कार्यकाल समाप्त हो गया और नए चुनाव की घोषणा हो गई।
सपा से गीता साहू की प्रबल दावेदारी
बांदा नगर पालिका परिषद की सीट भी महिला सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई। इस सीट पर भाजपा की प्रत्याशियों की लंबी फेहरिस्त नजर आ रही है। कम से कम आधा सैकड़ा महिलाओं ने दावेदारी कर रखी है। कांग्रेस और बसपा से गिने-चुने नाम सामने आ रहे हैं। समाजवादी पार्टी से भी तीन या चार नाम अध्यक्ष पद के दावेदारों में सामने आ रहे हैं। इनमें पूर्व अध्यक्ष मोहन साहू की पत्नी गीता साहू की प्रबल दावेदार मानी जा रही है। 2012 में गीता साहू निर्दलीय चुनाव लड़ी थी। तब तक उन्हें 7759 मत मिले थे। अगर समाजवादी पार्टी उन्हें इस बार चुनाव मैदान में उतारती है तो निश्चित ही सभी दलों के समीकरण डगमगा जाएंगे। वह अन्य प्रत्याशियों पर भारी पड़ेगी। साथ ही सत्ता पक्ष द्वारा उनके पति को सताये जाने, बार-बार वित्तीय अधिकार सीज कराने और बर्खास्त कराने का मुद्दा भी चुनाव में सत्ता पक्ष की गले का खास बन सकता है।