योगी राज में अपराधियों के बढ़ते मनोबल को सलाम!
बहराइच। दलाल माफिया मनीष जायसवाल के अपराधों पर कानून का सख्त पहरा होते ही आजादी के लिए बार-बार न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के बाद भी उसके द्वारा किए गए जघन्य कृत्यों की भरपाई न हो पाने के कारण जहां बार बार सक्षम न्यायालय द्वारा उसकी जमानत अर्जी को खारिज किया जाता रहा और अधिवक्ता कलीम हाशमी और अजय पाठक द्वारा लगातार विद्वान जज के सामने प्रस्तुत किए जा रहे सबूतों के आधार पर अपने अधिवक्ता के माध्यम से मनीष का हर प्रयास विफल होता रहा इस मामले में अधिवक्ता कलीम हाशमी व अजय पाठक को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी पड़ी ………! बावजूद जेल से आजाद होते ही मनीष एक बार फिर अपने कारनामों के कारण जिले में चर्चा का विषय बन गया। लेकिन इस बार उनके द्वारा पब्लिक को नहीं बल्कि पुलिस को ही धमका दिया गया है।
मालूम हो कि प्रदेश भर में दर्जनों अपराध करने वाले मनीष की मुख्य पहचान संभागीय परिवहन विभाग में एक दलाल के रूप में चर्चित होती रही है। लेकिन भू माफियाओं का संरक्षण हासिल होने के बाद लखनऊ में किए गए ज्वेलरी कांड से लेकर भू_ माफियाई में बढ़ चढ़कर प्रतिभाग करते हुये यह भू माफिया की दुनिया में भी अपना नाम दर्ज करवाता रहा है। संभागीय परिवहन विभाग के एक अधिकारी द्वारा इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाया जाना प्रशासन द्वारा एआरटीओ कार्यालय पर छापा मारकर इस को गिरफ्तार किया जाना व पिछले कई वर्षों से इसके भू माफियाई को लेकर जनपद निवासी गुरप्रीत सिंह का इसके खिलाफ कार्यवाही किया जाना सिर्फ जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
इसके द्वारा राजस्व विभाग के अभिलेखों में भी 420 करवा कर कागजों में खूब फेरबदल किया गया। जिसका खुलासा विभागीय लोगों द्वारा दी गई अपनी जांच आख्या में भी किया गया है।इसके द्वारा जगतापुर सूफी पुरा में लगभग 12,000 स्क्वायर फीट में तीन मंजिला भवन का भी निर्माण करवाया गया है।जिसमें महंगे इटालियन पत्थरों से साज-सज्जा करवाई गई है। इनके द्वारा चिलवरिया से पहले शिव शक्ति ब्रिक फील्ड भट्ठे को भी किराए पर लेकर अवैध रूप से संचालित करवाया जा रहा है। जो भट्टा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दायरे से दूर रहने के बाद भी बेधड़क संचालित हो रहा है।जबकि 2012 से यह स्कीम बंद भी हो चुकी है। यही नहीं तमाम लग्जरी गाड़ियों का जुनून रखने वाले मनीष वाहवाही लूटने के चक्कर में इस बार एक दरोगा को ही अपनी अवकात बता बैठे। जो मामला अब पुलिस की चौखट पर आवाज करने लगा है।बात अभी पिछले दिनों की है जब बहराइच में तैनात एक सब इंस्पेक्टर को इनके द्वारा फोन कर यह कहा गया की आप कहा है ? मैं आपसे मिलना चाहता हूं?
सब इंस्पेक्टर साहब कुछ समझ पाते की चंद घंटो मे ही उन्हें बागपत जिले में अपनी तैनाती की सूचना थमा दी गई।और जब उक्त प्रकरण को लेकर सब इंस्पेक्टर सुभाष चंद्र यादव से बात की गई तो उन्होंने. बताया कि मेरा तबादला गोपनीय रूप से प्रशासनिक आधार पर किया गया था और 15 मार्च को लगभग 4.30 के आसपास एक फोन आया और कहा गया की आप सुभाष जी बोल रहे हैं, तो मैंने कहा हां बोल रहा हूं।तो बोला गया मैं मनीष जैसवाल बोल रहा हूं, आप कहां हैं?मैंने कहा बहराइच में,तो मनीष बोले मैं आपसे मिलना चाहता हूं,बताइए आप बहराइच में मिलेंगे कि बागपत में मिलना पसंद करेंगे?
श्री यादव ने बताया कि चूंकि हमको एक अपराधी फोन करके सब कुछ पूंछ रहा था तो हमको भी थोड़ा डाउट हुआ कि जिस बात की सूचना अभी विभागीय अधिकारियों को नहीं हो पाई उस बात को भला एक अपराधी कैसे जान गया?मालूम हो कि ये वही सुभाष चंद यादव हैं जिनके साहसिक उपस्थित में न सिर्फ दलाल माफिया मनीष की गिरफ्तारी हुई थी बल्कि ये मनीष सहित कई अपराधियों के विवेचक भी रहे थे। और इन्हीं के कार्यकाल में मनीष पर पचास हजार का इनाम भी घोषित किया गया था।इसीलिए इनके रहते हुए तबादले में मनीष की संलिप्तिता पर भी शक जताया जा रहा है। श्री यादव ने बताया कि मैं तो घर से नौकरी करने ही निकला हूं, जहां भी मेरी तैनाती की जाएगी मैं अपने कर्तव्यों का शत प्रतिशत निर्वाहन करता रहुंगा।
फिलहाल मामला जो भी हो लेकिन एक सजायाफ्ता द्वारा पुलिस महकमे को धमकाया जाना क्या उचित है?यदि भविष्य में पुलिस महकमे में तैनात उक्त निर्भीक जाबाज कर्मी की अगर हत्या हो जाती है तो इसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा?उक्त प्रकरण में क्या पुलिस अधीक्षक द्वारा कड़ा संज्ञान लिया जाएगा?लेकिन उक्त प्रकरण को लेकर जब पुलिस अधीक्षक से बात करने का प्रयास किया गया तो पीआरओ द्वारा बताया गया की वे अभी मीटिंग में हैं तत्पश्चात डीआईजी देवीपाटन से बात करने की कोशिश की गई तो वे भी मीटिंग में व्यस्त बताए गए।लेकिन कुछ देर बाद अपनी जिम्मेदारियों के प्रति समर्पित पुलिस अधीक्षक द्वारा स्वयं दूरभाष किया गया और जब उक्त प्रकरण के बाबत उनसे जान कारी ली गई तो बताया कि अभी उन्हें ऐसे किसी भी मामले की जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।जब उनसे पूछा गया कि मामले की जानकारी होने पर क्या आपके द्वारा संज्ञान लिया जाएगा तो पुलिस अधीक्षक द्वारा बताया गया कि मामला संज्ञान में आने पर जो भी उचित कार्यवाही बनेगी जरूर की जाएगी।