कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब विवाद को लेकर बुधवार को सुनवाई की. न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित की एकल पीठ ने कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया है. इससे पहले राज्य के एडवोकेट जनरल (एजी) ने कहा था, ‘बड़ी बेंच गठित करने का फैसला न्यायाधीशों के हाथ में है. हमने इसपर जो शोध किया है, वह सीमित है. एक सवाल यह उठता है कि क्या हिजाब पहनने के अधिकार का वर्तमान दावा जरूरी धार्मिक प्रथा के तहत आता है?’ उन्होंने (AG) कहा, ‘अब यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है और हर किसी की निगाहें अदालत के फैसले पर टिकी हैं. मेरा निवेदन है कि मेरे साथी वकील ने अपनी बातें रख दी हैं. अब यह राज्य के लिए बहस करने का वक्त है और फिर अदालत को फैसला सुनाना है.’
इससे एक दिन पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में बढ़ते हिजाब विवाद के बीच विद्यार्थियों और आम लोगों से शांति एवं सौहार्द बनाए रखने की अपील की थी. तटीय शहर उडुपी में सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी महिला कॉलेज में पढ़ने वाली कुछ छात्राओं की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि इस पर अब बुधवार को आगे सुनवाई होगी. हिजाब विवाद के कारण कई जगहों पर पत्थरबाजी की घटनाएं हुई हैं. जबकि कुछ जगह हिजाब पहनी छात्राएं और भगवा शॉल पहने छात्र एक दूसरे के सामने आकर नारे लगाते दिखे. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने तीन दिन के लिए स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए हैं.
याचिकाकर्ताओं ने कौन सी मांग की?
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित की एकल पीठ ने कहा था, ‘यह अदालत विद्यार्थियों और आम लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने का अनुरोध करती है. इस अदालत को समग्र जनता की बुद्धिमता और सदाचार पर पूरा भरोसा है और उम्मीद करती है कि इसे व्यवहार में भी अपनाया जाएगा.’ याचिकाकर्ताओं ने अदालत से यह घोषित करने का अनुरोध किया है कि कॉलेज परिसर में इस्लामिक प्रथा के तहत हिजाब पहनने सहित जरूरी धार्मिक प्रथाओं को अपनाना उनका मौलिक अधिकार है.
शरारती तत्वों को बताया गया जिम्मेदार
न्यायमूर्ति दीक्षित ने लोगों को भारतीय संविधान में भरोसा रखने की सीख देते हुए कहा कि कुछ शरारती तत्व ही इस मामले को तूल दे रहे हैं. न्यायमूर्ति दीक्षित ने आगे कहा कि आंदोलन, नारेबाजी और विद्यार्थियों का एक दूसरे पर हमला करना अच्छी बात नहीं है. इससे पहले मंगलवार को कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों में स्थित महाविद्यालयों में हिजाब के खिलाफ और समर्थन में प्रदर्शन किए जाने के बीच गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने लोगों से शांति की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि किसी की ओर से भी पुलिस बल के इस्तेमाल का अवसर नहीं दिया जाना चाहिए.