धर्म-आस्था

*पैगम्बर हज़रत मुहम्मद ﷺ साहब की शिक्षाएं सम्पूर्ण मानवता के लिए……*

● 1) *मज़दूर की मज़दूरी उसका पसीना सूखने से पहले दे दो।*

 

● 2) *तुम्हारी पत्नियां तुम्हारी नौकरानी नहीं, तुम्हारी सहभागिनी हैं। उनसे अच्छा सुलूक करो और घर के कामों में हाथ बँटाओ।*

 

● 3) *दुनिया में कोई भी इंसान छोटा-बड़ा, छूत-अछूत, ऊंचा- नीचा नहीं है , सभी मानव समान हैं l*

 

●4) *किसी दिखावे का काम न करो। किसी को दान दो तो छुपाकर दो। किसी पर एहसान करके एहसान मत जताओ।*

 

●5) *माँ की इज़्ज़त करो । माँ के क़दमों के नीचे जन्नत है l*

 

● 6) *बच्चो को शिक्षा दो l एक पिता अपने बच्चे को शिक्षा से ज़्यादा क़ीमती कोई सामान नहीं दे सकता।*

 

● 7) *ईमान का सबसे पक्का शख़्स वो है जो चरित्रवान है और उनमे भी सबसे बेहतरीन वो है जो अपनी बीवी के प्रति बहुत अच्छा व्यवहार रखता है ।*

 

● 8) *रंग-भेद को मिटाते हुए आप ﷺ ने कहा था की, गोरे को काले पर, काले को गोरे पर कोई श्रेष्टता नहीं।*

 

●9) *वो औरत भाग्यशाली है जिस की पहली औलाद एक बेटी है ।*

 

● 10) *जो अपने लिए पसंद करो, वही दूसरों के लिए भी पसंद करो!*

 

● 11) *नम्रता मनुष्य के लिए सब से अच्छा लिबास है।*

 

● 12) *बीमारों से मिला कीजिये, भूखों को खाना खिलाइए और अनाथों से प्यार कीजिये।*

 

●13) *रास्ते से कोई तकलीफ़ देह चीज़ जैसे काँटे, शीशे के टुकड़े या नुकीले पत्थर इत्यादि को हटा देना भी सदक़ा (दान) है।*

 

●14) *सबसे बड़ा बलवान व्यक्ति वह है जो अपने क्रोध/गुस्से पर नियंत्रण रखता है।*

 

● 15) *पेड़ लगाओ, पेड़ लगाना भी सदक़ा (दान) है।*

 

●16) *कम बोलना और एक अच्छा स्वभाव, इनसे बेहतर कोई भी दो चीजें नहीं हैं।*

 

● 17) *अपनी जीविका चलाने के लिए तुम चाहे जो भी काम करो, उसे पूरी इमानदारी व मेहनत से करो।*

 

● 18) *जानवरों पर दया करो। उनकी शक्ति से अधिक उनसे काम न लो। उनकी छमता से अधिक बोझ न लादो l*

 

●19) *आप बिना आस्था के स्वर्ग नहीं पा सकते. और सम्पूर्ण आस्था तभी प्राप्त कर सकते हैं जब आप एक दूसरे से प्रेम करोगे।*

 

● 20) *सत्य और न्याय की गवाही दो, चाहे तुम्हारी अपनी या अपने परिवार-जनों की ही हानि क्यो न हो।*

 

●21) *अन्याय के विरूद्ध जद्दोजहद /संघर्ष करने वाला अल्लाह का प्यारा होता।*

 

● 22) *किसी की गलतियों को जल्दी से माफ कर दो, ताकि खुदा के यहाँ आप की गलतियाँ भी जल्दी माफ की जा सके।*

 

● 23) *सांसारिक सुख मेरे लिए नहीं हैं. मैं एक यात्री की तरह हूँ, जो एक पेड़ की छाया में आराम लेता है और फिर अपने रास्ते पर चल पड़ता है.*

 

● 24) *नशा (शराब, ड्रग्स) सूद-ब्याज, ज़िना (व्यभिचार) आदि जैसी सामाजिक बुराईयों को हराम है ।*

 

● 25) *पैगम्बर ने कहा था की “तुम ने भर पेट खाना खाया और अगर तुम्हारा पडोसी भूखा सो रहा है तो तुम हम में से नहीं.*

 

● 26) *पानी को व्यर्थ बर्बाद न करो भले तुम बहती नदी के किनारे क्यों ना रहते हो।*

 

●27) *यदि तुम अपने से सुन्दर और धनवान व्यक्ति को देखते हो तो फिर अपने से ग़रीब और कमतर को भी देखो।*

 

● 28) *आफत के मारे हर इंसान की मदद करो चाहे वो मुसलमान हो या गैर मुसलमान।*

 

●29) *बाज़ार से बच्चों के लिए जो भी चीज़ लाओ, पहले उसे अपनी बेटी को दो फिर बेटे को।*

 

● 30) *हमेशा सच बोलो, भले ही वो कड़वा क्यों ना हो।*

 

● 31) *बेटियों को जिंदा दफन व भ्रूण हत्या मत करो l*

 

● 32) *मनुष्य के लिए सादगी सबसे अच्छी अभिव्यक्ति है।*

 

“●33) *सभी मनुष्य आपस में भाई-भाई हैं, सभी मनुष्य एक समान है, समानता असमानता से बेहतर है।*

 

● 34) *गरीबो की मदद (सदका, ज़कात, खैरात) से करो l गुलामो को आज़ाद करो l* पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा को पूरी दुनिया के लिए नबी बनाकर भेजा।

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